गाजीपुर: सेवराई तहसील क्षेत्र में मोहर्रम की दसवीं तिथि पर शांतिपूर्ण तरीके से ताजिया जुलूस निकाला गया। इस अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न गांवों जैसे उसीया, दिलदारनगर, फुल्ली, पचोखर, फरीदपुर, सिहानी, खजुरी, गहमर, सायर, देवल और लहना में ताजिया जुलूस का आयोजन किया गया।
मोहर्रम के जुलूस की विशेषताएं
– ताजिया जुलूस बड़ी चौक से शुरू होकर पारंपरिक तरीके से कर्बला पहुंचा।
– जुलूस में शामिल लोग मर्सिया पढ़ते हुए सीना पिटकर मातम करते दिखे।
– उसीया में ताजिया गांव की विभिन्न गलियों से होते हुए ऊंचा तक पहुंचा, जहां लोग ‘या हुसैन’ की याद में मातम करते रहे।
– शाम को जुलूस में शामिल युवकों ने लाठी, डंडा और तलवार से कलाबाजी का प्रदर्शन किया और ‘या अली या हुसैन’ के नारे लगाए.
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन
देवल गांव में ताजिया जुलूस के दौरान हिंदू वर्ग के लोगों ने ताजिया जुलूस में शामिल होकर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया। यह गंगा-जमुनी तहजीब का एक सुंदर उदाहरण था।
प्रशासन की निगरानी
जुलूस के दौरान पुलिस प्रशासन, तहसील प्रशासन और कमेटी के लोगों की कड़ी निगरानी रही, जिससे शांति और सौहार्द बनाए रखा जा सके। जुलूस के अंत में लोग मिट्टी लेकर कर्बला के लिए रवाना हुए।
मोहर्रम का महत्व
मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस महीने की 10वीं तारीख को यौमे आशूरा कहा जाता है, जो इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन पैगंबर मुहम्मद के नवासे थे और उनकी शहादत कर्बला की जंग में हुए थे। सेवराई तहसील क्षेत्र में मोहर्रम का त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर निकाले गए ताजिया जुलूस में हिंदू-मुस्लिम एकता का सुंदर उदाहरण देखने को मिला। प्रशासन की कड़ी निगरानी के चलते जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।