जाने कहाँ गये वो दिन! ग्रामीणांचल का दर्द, नागपंचमी पर कुश्ती दंगल का आयोजन अब इतिहास की बातें


गाजीपुर: भाँवरकोल क्षेत्र में नागपंचमी का पर्व ग्रामीण क्षेत्रों में पहले बहुत उत्साह से मनाया जाता था किन्तु विगत दो दशकों से कुश्ती और दंगल बस इतिहास बनकर रह गया है। इस अवसर पर घरों में लोगों ने नाग देवता को दूध और लावा चढ़ाकर पूजन तो करते हैं किन्तु अब उत्साह की कमी और शहरी सभ्यता का ग्रामीण अंचल मे प्रवेश के कारण कुश्ती दंगल धीरे धीरे ख़तम होते चले गये। पहले गांव गांव अखाडा हुआ करते थे और घर घर पहलवान किन्तु अब न तो अखाडा ही रहे और न ही पहलवान। गिने चुने अखाडा क्षेत्र में हैं भी किन्तु वहां न कोई व्यवस्था है न कोई सीखने सिखाने वाले पहलवान ही।

नागपंचमी पर होता था कुश्ती-दंगल का आयोजन:

ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह अखाड़ों पर पूजन कर कुश्ती कला का प्रदर्शन किया जाता था, और उपस्थित जन समुदाय को प्रसाद के रूप मे लड्डू, या लडुई (एक विशेष प्रकार की मिठाई) वितरित की जाती थी किन्तु अब वो बात कहाँ?

बुजुर्ग अभिभावकों का मिलता था साथ सानिध्य और आशीर्वाद

गाँव के बुजुर्ग भी इस दिन आखाडे पर पहुंचकर लंगोट पहनते थे और नव युवकों को ललकारते थे।

नये बच्चे उत्साह के साथ साल भर इंतजार करते थे कि इस बार तो मै पटकनी खा गया हूँ अगले साल मै तुमको पटकनी अवश्य दूंगा।

प्रतिस्पर्धा और सामंजस्य का अनोखा संगम होता था ये नाग पंचमी का त्योहार

क्षेत्र के शेरपुर कलां और खुर्द में बड़े अखाड़े हुआ करते थे। और लोगों का जमावड़ा लगता था, शहीद बाग़ में खूब लम्बे चौड़े मैदान में कबड्डी और बरगत्ता जैसे खेलों का आयोजन होता था। अन्य गाँवो जैसे, कुंडेसर, चंदनी, मूर्तजीपुर, बीरपुर, अवथही, सोनाड़ी, कनुवान, खरडीहा, सुखडेहरा इत्यादि सैकड़ों गाँवों मे भी छोटे छोटे अखाडा हुआ करते थे और दंगल होता था।  पहलवानों की तैयारी पूरे साल भर चलती थी और उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता था।

परम्परा का निर्वहन:*

नागपंचमी के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत तरीके से पूजा और कुश्ती-दंगल का आयोजन तो होता है। किन्तु अब अखाड़ों और पहलवान के न रहने और उत्साह की कमी से कुछ गिने चुने लोग ही भाग लेते हैं। बुजुर्गों की उपस्थिति और अनुशासन के कारण यह आयोजन शांतिपूर्ण और भव्य तरीके से संपन्न होता था किन्तु अब न तो ठीक से ये कार्यक्रम ही हो पाते हैं न लोगों की भीड़ ही रहती है ।

इस बार क्षेत्र मे नागपंचमी का त्योहार नाग पूजा और रसोई पकवान बनाकर सादगी से मनाया गया। गिने चुने अखाड़ों पर कुछ लोग नजर आये और पुरानी यादों को चर्चा करते मशगूल थे।

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