गाजीपुर: जानकारी के मुताबिक, गहमर थाने के प्रभारी निरीक्षक गहमर थाने की पुलिस द्वारा गैर राज्य बिहार के भभुआ जिले से एक युवक को उठाकर ले जाने का मामला तूल पकड़ लिया है। मामला बिहार पुलिस और गाजीपुर के अफसरों तक पहुंचा, तब कहीं जाकर युवक को छोड़ा गया।
अशेषनाथ सिंह और चार सिपाही – मनोज दुबे, प्रमोद कुमार, शिव कुमार पाल और अमरजीत पाल – बिना वर्दी के बिहार पहुंचे थे। उन्होंने एक युवक को सफेद गाड़ी में बैठाया और लेकर चले गए। इस हरकत की वजह से अपहरण की अफवाह फैल गई, घटना के बाद भभुआ के रामगढ़ थाने की पुलिस हरकत में आई, थानाध्यक्ष राजू कुमार की अगुवाई में इलाके के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। जांच में पता चला कि युवक को गहमर पुलिस उठाकर ले गई है। बिहार पुलिस ने गाजीपुर एसपी डॉ. ईरज राजा से संपर्क किया। एसपी इस पूरी घटना से अनजान थे, चार घंटे थाने में बैठाकर युवक को छोड़ा जब मामला खुला तो युवक को गहमर थाने से छोड़ा गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी डॉ. ईरज राजा ने तुरंत कार्रवाई की। पहले तो प्रभारी निरीक्षक को लाइन हाजिर किया गया, फिर जांच के बाद उन्हें और चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया।
एसपी डॉ. ईरज राजा ने कहा कि दूसरे थाना क्षेत्र में जाने से पहले उच्चाधिकारियों को सूचना देना और किसी गैर राज्य में जाने से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होता है। लेकिन इस मामले में नियमों का पूरी तरह उल्लंघन हुआ। जांच में सभी की भूमिका संदिग्ध पाई गई, इसलिए निलंबन की कार्रवाई की गई है।
लेकिन प्रश्न ये उठता है की क्या गाजीपुर की पुलिस अपने आप को अपने वरिष्ठ अधिकारी और कानून से ऊपर समझने लगी है अगर ये पुलिस गैर राज्य में जाकर इस तरह का गैर क़ानूनी काम कर सकती है, तो क्या वह अपने जिले और अपने अधिकार का दुरुपयोग नहीं करती होगी, और ये क्या आम जनता के साथ में न्याय कर पायेगी ?