सुदामा जी का पावन चरित्र सुन भाव विभोर हुए श्रोता


गाजीपुर: भांवरकोल क्षेत्र के शेरपुर कला गाव में चल रही संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद्भभागवत कथा के सातवें दिन भक्ति, प्रेम और उल्लास से परिपूर्ण रहा।

पo भुवनेशाचार्य जी महाराज ने कथा में भगवान चरित्रों का गायन करते कहा कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए नाना प्रकार प्रयत्न करते हुए अपने भक्तों पर कृपा बरसाते है। ,जब राजा परीक्षित ने शुकदेव जी महाराज से पूछा कि प्रभु का नाम दीनबन्धु कैसे पड़ा तो शुकदेव जी ने सुदामा जी का पावन चरित्र सुनाया आगे बताया कि इक्ष्वाकु वंश के राजा राजा नृग़ दान दाताओं में सर्व श्रेष्ठ थे लेकिन इनसे भूल बस ब्राह्मण का अपराध बन गया था तो उनको गिरगिट बनना पड़ा उसकी दसा को देखकर भगवान अपने पुत्रों से कहते है कि हे पुत्रों अगर आपको कोई हलाहल विष देदे तो उससे तुम्हारी रक्षा कर सकता हु लेकिन ब्राह्मण का धन और ब्राह्मण का अपराध बन गया तो मैं भी आपकी रक्षा नहीं कर सकता हू। कथा के अंत में फूलों की होली खेली गई और पूरा परिसर राधा-कृष्ण के संकीर्तन से झूम उठा। भक्तों ने भजन, नृत्य और पुष्पवर्षा के साथ भक्ति की पूर्णता का अनुभव किया। इस अवसर पर चौधरी दिनेश चंद्र राय , प्रधान प्रतिनिधि जयानंद राय, पूर्व प्रधान विद्यासागर गिरी, त्रिवेणी राय, पवन राय, प्रवीण राय ,साधु राय सहित सैकड़ो की संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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