कुशीनगर । पिपरा बाजार का ऐतिहासिक विशाल पोखरा आज अतिक्रमण और जल प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से क्षुब्ध होकर रामजानकी मंदिर के महन्थ शत्रुघ्न दास उसके जीर्णोद्धार के लिए आमरण आसन पर बैठ गए है।जो समाचार लिखे जाने तक जारी रहा।
महन्थ का कहना है कि पोखरे को अतिक्रमण मुक्त कराने और इसके जल को प्रदूषण से बचाने के लिए वे कई बार संबंधित अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। आखिरकार विवश होकर उन्होंने अनशन शुरू किया।
बताते चलें कि इस पोखरे के एक छोर पर रामजानकी मंदिर स्थित है, वहीं एक ओर छठ घाट बना हुआ है और पश्चिम-उत्तर दिशा में घनी आबादी बसी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसी आबादी की तरफ से अतिक्रमण और जल प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कभी यह पोखरा ग्रामीणों और राहगीरों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत हुआ करता था। लोग यहां से स्नान, पूजा-पाठ और घरेलू कार्यों के लिए पानी लेते थे। लेकिन बदलते परिवेश और जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आज यह पोखरा अपने जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि शीघ्र ही प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह पोखरा इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगा। वहीं महन्थ शत्रुघ्न दास ने चेतावनी दी है कि जब तक अतिक्रमण हटाकर पोखरे को संरक्षित करने की ठोस कार्यवाही नहीं की जाएगी, उनका अनशन जारी रहेगा।