महिला किसानो तथा श्रमिकों के साथ कुलपति ने दिया योग से निरोग रहने का संदेश


गोरखपुर: महामहिम कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से तथा माननीय कुलपति प्रो पूनम टंडन के निर्देशन में महिला अध्ययन केंद्र ,दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर तथा शाहिद बंधू सिंह डिग्री कॉलेज करमहाँ, सरदारनगर ,गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025,”yoga for one earth ,one health” के संकल्प को साकार करते हुए “ योगा फॉर वूमेन फार्मर एंड वूमेन पैडी लेबर्स ” विषय पर योग प्रशिक्षण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया

महिला किसान और धान की खेती में काम करने वाली महिला श्रमिकों के लिए योगासन न केवल शरीर को मजबूत बनाते हैं, बल्कि थकान, पीठ दर्द और मानसिक तनाव को भी कम करते हैं-प्रो पूनम टंडन , कुलपति

महिला किसान रोपनी के दौरान अत्यधिक कमर के विकारों से पीड़ित हो जाती है , योग अभ्यास उन्हें शारीरिक बल देगा -प्रो दिव्या रानी सिंह-निदेशक , महिला अध्ययन केंद्र

ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों और धान की खेती में संलग्न महिला मज़दूरों के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए ये विशेष योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शारीरिक श्रम से जुड़ी समस्याओं को कम करना, मानसिक तनाव को दूर करना और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना रहाl

इस आयोजन की संरक्षक एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टंडन, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर रही l कार्यक्रम की शुरुआत माननीय कुलपति जी द्वारा मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित किया गया / सभी अतिथियों का स्वागत * प्राचार्य डॉ उग्रसेन सिंह* शाहिद बंधु डिग्री कॉलेज करमहाँ सरदारनगर, गोरखपुर ने किया  इस कार्यक्रम की समन्वयक प्रो दिव्या रानी सिंह ,निदेशक , महिला अध्ययन केंद्र उपस्थित रही

 

इस योग कार्यक्रम में करीब 35 महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षित योग गुरुओं (नीलम जी एवं प्रियंका जी) द्वारा महिलाओं को विशेष योग आसनों, प्राणायाम और ध्यान की तकनीकों से अवगत कराया, जो विशेष रूप से खेतों में काम करने वाली महिलाओं की पीठ दर्द, जोड़ों की समस्या और थकान जैसी सामान्य शिकायतों को कम करने में सहायक होती हैं।

योग प्रशिक्षिका नीलम जी के द्वारा सरल लेकिन प्रभावी *आसन* (योग मुद्राएँ) कराया गया जैसे -ताड़ासन (रीढ़ को सीधा करता है, शरीर में संतुलन और स्थिरता लाता है)

भुजंगासन (पीठ दर्द से राहत, मेरुदंड को लचीलापन देता है) , वज्रासन (पाचन सुधारता है, दिनभर काम के बाद आराम देता है) त्रिकोणासन (शरीर की साइड्स को स्ट्रेच करता है, मांसपेशियों को लचीलापन देता है)।शवासन (थकान मिटाने और मानसिक शांति के लिए सबसे अच्छा)

पीठ दर्द (Back Pain) और घुटनों के दर्द (Knee Pain) के लिए- मकरासन, सेतुबंधासन, वज्रासन, बालासन, त्रिकोणासन (हल्के रूप में करें), बटरफ्लाई आसन, चक्रासन, अर्थ कती चक्रासन और मरीचि आसन या वक्रासनl

उच्च रक्तचाप (BP) और मधुमेह (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने के लिए कुछ प्रभावी योगासन भी बताया गया जैसे- उच्च रक्तचाप के लिए (अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, शवासन, बालासन (बाल मुद्रा), और सुखासन आदि) ये योगासन मन को शांत रखते हैं, तनाव कम करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

मधुमेह (ब्लड शुगर) के लिए- (कपालभाति प्राणायाम, पवनमुक्तासन, मंडूकासन (मेंढ़क मुद्रा), वक्रासन, और धनुरासन आदि) ये योगासन पाचन और अग्नाशय को सक्रिय करते हैं, जिससे इंसुलिन का स्राव बेहतर होता है और शुगर लेवल नियंत्रित रहता है

 

इसके साथ ही प्रशिक्षिका नीलम जी ने बताया कि जीवन शैली से जनित रोगों जैसे अर्थराइटिस, मधुमेह, कमर दर्द सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, कैंसर उच्च रक्तचाप, बच्चेदानी में गांठ, सर्वाइकल कैंसर,, अनिद्रा, बेचैनी अवसाद, घबराहट, मेनोपॉज ऑस्टियोपोरोसिस , कुपोषण, एनीमिया, सायटिका, नेत्र रोग, सेक्स ड्राइव में कमी , बालों का झड़ना, पाचन गत विकार,एक्टोपिक प्रेगनेंसी, अन्य वंशानुगत रोग आदि सभी में ये योगासन( जैसे- उष्ट्रासन, गर्भासन, ब्रह्मचर्य आसान, मरीचि आसन या वक्रासन, ताड़ासन, सर्वांगासन, अर्ध कती चक्रासन, चक्रासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, rajkapotasan, प्राणायाम, और बटरफ्लाई) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैl योग शरीर में रक्त एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति कर कोशिकाओं को नई चेतना देकर पुनर्जीवन मे लाता है अर्थात महिला स्वास्थ्य में योग वात पित कफ में संतुलन लाकर सप्त धातुओं के विकास को प्रेरित करता है और हारमोंस और मेटाबॉलिज्म की दर को नियंत्रित करता है जिससे महिलाओं को पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और पूर्ण नारीत्व का आभास होता है l

 

एक महिला किसान, रानी देवी ने कहा, “हम सुबह से शाम तक खेत में काम करते हैं।, जिससे शरीर की गठन में दर्द एवं अन्य समस्याएं होती हैंl यह योग सिखने के बाद हमें लगा कि हम अपने शरीर का भी ध्यान रख सकते हैं। अब हम रोज सुबह योग करना शुरू करेंगे।”

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा:

“महिलाएं खेतों में दिन-रात मेहनत करती हैं, लेकिन अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पातीं। योग न केवल शारीरिक फिटनेस का माध्यम है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का स्रोत भी है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके महिलाएं अधिक स्वस्थ और सशक्त बन सकती हैं।” उन्होंने महिला किसान रानी देवी को स्वयं एवं अपने क्षेत्र की महिलाओं को रोज योग करने तथा सिखाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया l

 

कार्यक्रम के संबंध में प्रो दिव्या रानी सिंह ने बताया कि महिला किसान और मजदूर रोजाना कठिन परिश्रम करती हैं, जिससे उन्हें कई शारीरिक समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। नियमित योगाभ्यास उनके लिए एक सरल लेकिन प्रभावी समाधान हो सकता है। इसके साथ ही महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक कियाl उन्हें नियमित रूप से योग अभ्यास करने की महत्ता तथा स्व-परीक्षण (ब्रेस्ट सेल्फ एग्ज़ामिनेशन) की विधि समझाई गई, जिससे वे प्रारंभिक अवस्था में ही किसी भी असामान्य गांठ या परिवर्तन को पहचान सकें। इससे न केवल रोग की समय रहते पहचान संभव हो पाती है, बल्कि इसके संभावित गंभीर दुष्परिणामों से भी बचा जा सकता है।”

 

कार्यक्रम में शाहिद बंधू सिंह महाविद्यालय की गृह विज्ञान की शिक्षिका डॉ पूनम प्रजापति भी उपस्थिति रही इनके सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा।

महाविद्यालय की शिक्षिकाओं के साथ साथ गृह विज्ञान विभाग की शोध छात्राएं काजोल आर्यन, शिवांगी मिश्रा , कीर्ति उपस्थित रही।

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