नोनहरा कांड के पीछे की ‘अदृश्य’ कहानी! क्यों आज गाजीपुर आ रहे हैं मनोज सिन्हा?


गाजीपुर। गाजीपुर का नोनहरा थाना परिसर जहां कुछ सप्ताह पहले एक दिव्यांग भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की कथित पुलिस लाठीचार्ज में मौत के बाद रणक्षेत्र बन गया था, आज फिर देश की राजनीति के केंद्र में आ गया है।


सवाल यह नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा क्यों मृतक के परिजनों से मिलने आ रहे हैं, बल्कि सवाल यह है कि इस मुलाकात के पर्दे के पीछे क्या चल रहा है?

क्या स्थानीय नेतृत्व और कार्यकर्ता के बीच कोई ऐसा अदृश्य तनाव है, जिसे शांत करने के लिए उपराज्यपाल को आना पड़ा है?

क्या परिवार को न्याय दिलाने के लिए एफआईआर, मुआवजे और सरकारी नौकरी से बढ़कर कोई बड़ी मांग है, जिस पर आज अंतिम मुहर लग सकती है?

क्या यह दौरा ‘न्याय’ या ‘सियासी बैलेंस’ का संकेत है?

क्या इस मुलाकात के तुरंत बाद एसआईटी (SIT) जांच के परिणाम आने वाले हैं, जिससे इस लाठीचार्ज की पूरी सच्चाई सबके सामने आ जाएगी?


मनोज सिन्हा, जो गाजीपुर से एक गहरा राजनीतिक और भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं, उनके आने से एक संदेश स्पष्ट है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी है।


आखिर कौन बेचैन है एफआईआर की गर्मी से ?

स्थानीय राजनीति में चर्चा है कि इस मामले में कुछ बड़े नाम भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, जिनका परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इस घटना से संबंध था कहीं ऐसा तो नहीं कि मनोज सिन्हा का आज परिवार से मिलकर मामले की पूरी जानकारी लेना, उन अज्ञात नामों पर कार्रवाई की ओर इशारा कर रहा है, जो अभी तक बचते रहे हैं?

आज की मुलाकात, सांत्वना से कहीं अधिक, गाजीपुर की राजनीति में आने वाले बड़े बदलावों का संकेत हो सकती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मनोज सिन्हा बंद कमरे में पीड़ित परिवार से बात करने के बाद मीडिया के सामने क्या खुलासा करते हैं?


 

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