परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के 60वें शहादत दिवस पर गुरुकुल एकेडमी मीरनपुर-सक्का, गाजीपुर में शहादत दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य सुन्दर लाल ने श्रद्धांजलि अर्पित की तथा इनके त्याग बलिदान,शौर्य और देशप्रेम के प्रति अतुलनीय योग्यदान का विवेचनात्मक वर्णन किया।
वीर अब्दुल हमीद की शहादत
1965 के भारत-पाक युद्ध में वीर अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने सात पैटन टैंकों को अपने आरसीएल गन से ध्वस्त कर दिया और दुश्मन की सेना में हड़कंप मचा दिया। उनके इस बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
विद्यालय में शहादत दिवस का आयोजन
विद्यालय में आयोजित शहादत दिवस कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री सुंदर लाल जी के अलावा श्री छेदी सर जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने वीर अब्दुल हमीद के जीवन और उनके बलिदान के बारे में बताया। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त छात्र-छात्राएं और शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे, जिनमें श्री आनन्द सर, वीरेन्द्र सर, अभिनाश सर, हरिकेश सर, रामविलास सर, नन्दलाल सर, अजीत सर, ओमप्रकाश सर, विनीद सर, संतोष सर, लल्लन राव, प्रियका मेम, प्रतिभा मैम, सीमा मैम,विल्या शर्मा एवं विद्यालय परिवार के अन्य कर्मचारीगण शामिल थे।
वीर अब्दुल हमीद का जीवन
वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में हुआ था। वह एक साधारण किसान परिवार से थे, लेकिन उन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।