गाज़ीपुर: इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने की चार तारीख को भी मजलिस-ओ-मातम होता रहा। यूं तो कर्बला में तमाम शहादतें यौमे आशूरह यानी दस मुहर्रम को हुई, लेकिन मारकए कर्बला के कुछ खास किरदार हैं जिन्हें मुहर्रम की कुछ खास तारीख से मंसूब कर दिया गया है। वैसे तो हजरत अली असगर की शहादत भी दस मुहर्रम को हुई थी, लेकिन चार मुहर्रम हजरत अली असगर से मंसूब है इस लिए इसी दिन मासूम असगर का झूला बरामद होता है।
इसी क्रम में मंगलवार की रात सादात नगर स्थित कोर्ट साहब के इमामबाड़े से मासूम असगर का झूला बरामद हुआ । इससे पहले हुई मजलिस को खेताब फरमाते हुए सहारनपुर से आए मौलाना सय्यद सादिक हुसैन ने कहा कि हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन अमनो-अमान, सदाकत, कुर्बानी व सब्रो-शुक्र की तस्वीर और रोशनी का एक मीनारा थे। वह बूढ़े व जवान सहित अपने शीर-ख्वार (दूधमुंहे) बच्चे अली असगर तक की कुर्बानी कबूल की लेकिन यजीद की बैयत कुबूल न की। तत्पश्चात् मसाएबे-कर्बला बयान किया। पेशख्वानी वजीहुलहसन और हैदरअब्बास ने पेश किया। मजलिस में शामिल अकीदतमंदों के आंखो से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अंजुमनहुसैनिया कच्चीबाग वाराणसी, सादात, मजुई व बहरियाबाद की अंजुमनों ने देर तक नौहाख्वानी व सीनाजनी की। इस दौरान शहंशाह, मुन्तजिर इमाम, सय्यद परवेज, सेराज अहमद, अबरार अंसारी आदि लोग शामिल रहे। लोग या अली, या हुसैन, हक हुसैन, या अब्बास, हाए सकीना की सदाएं बुलन्द करते रहे।
सादात नगर स्थित कोर्ट साहब के इमामबाड़े से मासूम असगर का झूला बरामद हुआ
