चीन से टकराव या दोस्ती, कौन सा रास्ता चुनेंगे ट्रंप ?


डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे अधिक सवाल चीन को लेकर उनकी नीति के बारे में पूछे जा रहे हैं। दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं। लेकिन वाशिंगटन में नई सरकार के बनने से पहले ही दोनों देशों ने बातचीत में रूचि दिखाई है।
यहां हम पांच पिछले कुछ दिनों 5 ऐसे घटनाक्रम का जिक्र कर रहे हैं जो भविष्य में बीजिंग और वाशिंगटन के संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संकेत देते हैं : –

1-शुक्रवार को ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका-चीन संबंधों में एक ‘नए शुरूआती बिंदु’ का आह्वान किया और अपने ‘व्यापक साझा हितों’ पर जोर दिया।

2-ट्रंप ने कहा कि इस बातचीत में टिकटॉक पर चर्चा भी शामिल थी जो फिलहाल दोनों देशों के बीच ताजा विवाद है। दरअसल अमेरिका टिकटॉक पर बैन लगाने की तैयारी में है लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति का पदभार संभालते ही लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध को 75 दिन के लिए टाल दिया।

3-टिकटॉक पर ट्रंप का कार्यकारी आदेश नए राष्ट्रपति की ओर से दिए गए संकेतों में से एक है कि वह बीजिंग के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, भले ही वह अमेरिका के प्रमुख भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देश पर सख्त रुख अपना रहे हों।

4-शी ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भेजा। वह किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में बीजिंग की तरफ भेजे गए अब तक के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।

5-ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पहले दिन (20 जनवरी) को चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने से भी परहेज किया जबकि चुनाव के दौरान इस मुद्दे को उन्होंने बहुत जोर-शोर से उठाया था। उन्होंने अमेरिका में चीनी आयात पर 60% से अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी। कई पर्यवेक्षकों का मानना था कि वह पहले दिन ही इस बारे में ऐलान करंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

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