मंत्री एके शर्मा को लेकर इतनी पेटदर्दी क्यों?
आखिर मंत्री एके शर्मा को बदनाम करने की क्यों चल रही है साजिश? जानिए पूरी कहानी
प्रवीण कुमार
लखनऊ-उत्तर प्रदेश की राजनीति में रोज नए-नए सिगूफे सुनने को मिलते हैं जैसे पिछले दिनों सुनने में आ रहा था बाबा और शाह में अनबन चल रही है। जल्दी ही बाबा की छुट्टी होगी वहीं कुछ दिन पहले चर्चा थी कि संघ, शाह और मोदी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है, वगैरह-वगैरह इस तरह की बातें और अफवाह फैलाने वाले और कोई नहीं बल्कि भाजपा में शामिल अन्य विचारधारा के आयातित नेता हैं। इन दिनों यह चर्चा है कि बाबा और मंत्री के शर्मा में संबंध ठीक नहीं है क्योंकि शर्मा जी, शाह-मोदी की टीम से हैं इसलिए योगी महाराज इनको किनारे लगाना चाह रहे हैं, जबकि यह सारी बातें बेतुकी और निराधार है और राजनीतिक थोथेबाजी है। कारण कि जैसा कि मंत्री एके के शर्मा के विषय में जाना जाता है वह अपनी प्रशासनिक सेवा में जटिल से जटिल काम को सॉल्व किए हैं जैसे- गुजरात मॉडल देकर गुजरात का अप्रत्याशित विकास किया। वहीं पीएमओ में रहकर मोदी सरकार की रूपरेखा तैयार की एवं ईमानदार अधिकारियों को महत्वपूर्ण जगहों पर रखकर सरकारी कामकाज को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया, साथ ही विदेश नीति पर आज भी समय-समय पर अपनी राय देते रहते हैं। परंतु कुछ विशेष प्रजाति के लोगों को यह पच नहीं रहा है। क्योंकि प्रदेश के दो महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री हैं और बात थोथेबाजी की नहीं तथ्य सहित की जाए तो इस विभाग के पिछली सरकार जैसे ‘योगी वन’ सरकार से ही तुलना की जाए तो हकीकत क्या है? पता चल जाएगा अब बात आती है कि आखिर क्यों मंत्री है एके शर्मा लोगों को पचा नहीं पा रहे हैं? जिसका प्रथम कारण है वह पत्रकारों को विज्ञापन और व्यवहारिक चापलूसी नहीं करते साथ ही ऊल-जुलूल बातों का जवाब देना पसंद नहीं करते जिससे मंत्री जी की छोटी-छोटी बातों को भी गलत तरीके से परोसा जाता है।जबकि इसी सरकार में कई ऐसे मंत्री है जो खुलेआम अनैतिक बातें करते हैं, जिनको उछालकर मीडिया अपनी खूब टीआरपी बटोरती है, वहीं विगत दिनों मीटिंग के दौरान अधिकारियों की नकेल कसते हुए शर्मा जी ने बस एक कहावत कह दी कि “बनिया की दुकान नहीं है कि बिना पैसे का सामान नहीं दोगे” तो अनावश्यक इसको बनिया बिरादरी से जोड़कर हवा दिया जाने लगा जबकि इसका अर्थ सभी लोग समझ रहे थे इसलिए यह साजिश स्टैंड नहीं कर पाई, अब जबकि बिजली विभाग की स्थिति बेहतरी की तरफ जा रही है तो अब नगर विकास विभाग को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है? सवाल खड़ा करना अच्छी बात है निश्चित रूप से इससे सुधार होता है और यह कोई नई बात नहीं है साथ ही अगर किसी विधायक ने विकास से संबंधित कोई बात उठाई है तो इसको मीडिया उसे विभाग के मंत्री की नाकामी को साबित करने में लगी हुई है। जबकि प्रदेश में और भी बहुत सारे विभाग हैं। क्या सब विभाग और सरकार आल इज वेल चल रही है? आखिर मीडिया उसको क्यों नहीं उठा रही है? चुकि मंत्री एके के शर्मा भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं एवं अपने समर्थकों को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी सोच है कि कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रहेगा तो आगामी चुनाव के समय यही कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से पार्टी को जिताने का काम करेंगे, जबकि वहीं मगरमच्छ टाइप के ठेकेदार जो अब तक अरबों रुपए का ठेका पट्टा अकेले अपनी दबंगई से करते थे अब ठुल्लू बनाकर इधर-उधर घूम रहे हैं, तो निश्चित रूप से यह मठाधीश अफवाहों को हवा देने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि यदि विकास कार्यों की सच्चाई की बात की जाए तो मंत्री एके शर्मा के गृह जनपद मऊ में इस समय लगभग 6000 करोड़ की विकास कार्ययोजना रन कर रही है। जिसमें अपने विभाग के अतिरिक्त अन्य केंद्रीय विभाग और सीएसआर फंडिंग भी शामिल है। जबकि यही जिला कल्पना राय के निधन के बाद 26 साल तक (1996 से लेकर 2022 तक) इस जनपद में दबंगई गुंडागर्दी का बोलबाला रहा साथ ही गैर जनपद से आए आयातित नेताओं ने मुट्ठी-भरकर इस जनपद को लूटा यही वह जनपद है जहां मुख्तार अंसारी आला अधिकारियों को अपने बगल में बैठकर या यू कहें तो बंधक बनाकर अपने गुर्गों को अपने हिसाब से ठेका बांटता था, तब पूरे प्रदेश में मात्र एक पत्रकार द्वारिका गुप्ता (जो आज दिवंगत हैं) उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई जिसको कुचलने के लिए दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी ने पत्रकार द्वारिका गुप्ता को अपनी गाड़ी के पिछले डिग्गी में भरकर पूरे शहर में घूमाकर पीटा था और लोग मूकदर्शक बनकर देख रहे थे।तब पूरे प्रदेश की मीडिया और पत्रकार संगठन कहां थे?और यह थोथेबाज लोग कहां थे? हां वही थोथेबाज नेता और ठेकेदार आज जरूर दिख रहे हैं जो कभी मुख्तार के कदम से कदम मिलाकर उसके सागिर्द हुआ करते थे, आज उन गुर्गों की गाड़ी पर फूल वाला झंडा खूब सुशोभित हो रहा है। जब वही गुर्गे ठेका नहीं पा रहे हैं तो विकास और भ्रष्टाचार का विधवा विलाप करवा रहे हैं ।इतना ही नहीं मऊ जनपद में लगातार 30 वर्ष तक मंत्री और विधायक रहे कुछ नामचीन भ्रष्टाचारी जो पार्टी बदल-बदलकर जनता का वोट लेते थे वह आज भी हैं पर उनसे कोई सवाल करने नहीं जाता है। परंतु जो बिना जनता का वोट लिए अपनी काबिलियत के दम पर हजारों करोड़ से मऊ जनपद के विकास की नई गाथा लिख रहा है, तो कुछ विशेष प्रजाति के लोगों के पेट में दर्द हो रहा है कि कहीं जनता इनको सर आंखों पर ना बैठा ले यही कारण है कि लगातार मंत्री एके शर्मा को बदनाम करने की साजिश चल रही है। चुंकि शर्मा जी एक प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं इसलिए वह सिर्फ काम पसंद करते हैं उनको लोगों का जवाब देना नहीं आता वह लोगों को चिकनी- चुपड़ी बातों से भरमा नहीं पा रहे हैं ।यह उनकी सबसे बड़ी कमी है। जबकि राजनीति में यह सफल होने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है जबकि इतना काम यदि कोई और ढपोरशंख नेता करता तो अब तक वह इतनी वाहवाही लूटता कि जैसे उसने ही विकास को पैदा किया है। बहरहाल या सच्चाई है और यह लिखना इसलिए जरूरी है कि एक व्यक्ति जो इतनी मेहनत और ईमानदारी से काम कर रहा है उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए जबकि निजी स्वार्थ में लोग किसी को कुछ भी लिख पढ़ दे रहे हैं। इसको लिखने से पहले मन में यही विचार आया कि कहीं जातिगत और चापलूसी से न जोड़ दिया जाए लेकिन मीडिया का काम सच्चाई बताना है और इस सच्चाई पर सवाल उठाने से पहले मऊ आकर कोई देख लें और मऊ के अगल-बगल जनपद में भी विकास की स्थिति को देख लें तो पता चल जाएगा की हकीकत क्या है?
( लेखक लोक अधिकार अखबार के संपादक हैं)