गाज़ीपुर जिले के भांवरकोल थाने में पुलिसिया लापरवाही और मिलीभगत का एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक महिला पीड़िता के साथ सामूहिक यौन उत्पीड़न और लूटपाट की कोशिश के बाद, स्थानीय पुलिस पर अपराधियों को संरक्षण देने और पीड़िता को न्याय से वंचित करने का संगीन आरोप लगा है। न्याय न मिलने पर पीड़िता को अंततः पुलिस अधीक्षक गाजीपुर से शिकायत करनी पड़ी।
इज़्ज़त लूट रहा है- फिर भी पुलिस दो दिन तक चुप! आखिर क्यों?
लोहारपुर गांव की निवासिनी ने अपनी शिकायत में बताया है कि 12 नवंबर की रात करीब 8:00 बजे, मिठाईलाल यादव ने उसकी झोपड़ी में गलत काम करने की नीयत से घुसकर अश्लील हरकत की। जब उसने शोर मचाया कि मेरी इज्जत लूट रहा है तो मिठाईलाल ने फोन कर अपने तीन भाइयों को भी बुला लिया। इन चारों अभियुक्तों ने लाठी-डंडों से महिला और उसे बचाने आई उसकी बेटी को मारा-पीटा, जिससे महिला को गंभीर और खतरनाक चोटें आईं, तथा वह बेहोश हो गईं। होश में आने पर पता चला कि उसके सोने के आभूषण और गाय खरीदने के लिए रखे 40,000 रुपये भी गायब थे।
पीड़िता का आरोप, पुलिस ने अपराधियों से सुलह का बनाया दबाव-पुलिस की कार्यशैली के कारण यह मामला अत्यधिक विवादास्पद तब बन गया जब महिला ने अपनी शिकायत में यह बताया कि गंभीर चोटों के बावजूद घटना की रात लगभग 10:00 बजे थाने पहुँचकर मैने सूचना दी लेकिन, स्थानीय पुलिस ने न तो मेरी रिपोर्ट लिखी न ही डाक्टरी परीक्षण कराया। पुलिस ने कहा कि वह बाद में रिपोर्ट लिखेंगे, और दूसरे दिन भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
स्थानीय पुलिस पर मिलीभगत और धमकी का आरोप- महिला ने साफ तौर पर कहा है कि स्थानीय पुलिस अभियुक्तगण से मिली हुई है तथा पुलिस ने नाबालिक लड़के को पकड़कर थाने ले जाकर मारा-पीटा और धमकाया कि माँ को बुलाओ सुलह कर ले वर्ना अन्जाम बुरा होगा।
“अब देखना यह होगा कि पुलिस अधीक्षक की ओर से क्या कार्रवाई की जाती है? पीड़िता को तत्काल न्याय, अभियुक्तों की गिरफ्तारी और थाने की कार्यशैली पर जवाबदेही तय करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।”
