महंगाई के दौर में मजदूरों का शोषण: वन विभाग की मजदूरनियों की दर्दनाक कहानी


मुहम्मदाबाद। स्थानीय तहसील अंतर्गत कुंडेसर वन विभाग रेंज के अन्तर्गत पौध नर्सरी फखनपुरा में इन दिनों वन विभाग द्वारा पौध/बीज रोपड़ के लिए प्लास्टिक में मिट्टी भरवाया जा रहा है। कार्य कर रही महिलाओं ने अपनी आपबीती बताते हुए बताया कि मजदूरी देने के नाम पर विभाग द्वारा उनका शोषण हो रहा है। इन महिलाओं को प्रतिदिन आठ घंटे काम करने के लिए महज 190 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं, जबकि नरेगा की मजदूरी 300 रुपये प्रतिदिन है।

इन महिलाओं ने बताया कि पेट की भूख मिटाने के लिए इन्हें हार मानकर काम करना पड़ता है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें कम से कम मनरेगा के बराबर मजदूरी मिलनी चाहिए। वन दरोगा मनोज कुमार का कहना है कि ये महिलाएं अपनी मर्जी से काम करती हैं और उन्हें पहले ही बता दिया जाता है कि एक दिन एक सौ नब्बे रुपये मिलेंगे।

हालांकि यह तो जांच का विषय है कि महिलाओं की निर्धारित दैनिक मजदूरी 190 रुपया है? अथवा कम मजदूरी देकर इनका शोषण किया जा रहा है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या यह शोषण नहीं है? क्या इन महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का हक नहीं है? आखिर सच्चाई क्या है? कौन सच बोल रहा है? इन सवालों का जवाब ढूंढना जरूरी है।

इन महिलाओं की दर्दनाक कहानी सुनकर किसी का भी दिल जज्बातो से भर जाएगा। सुखिया, चुनौती, सरिता, सीमा, पुष्पा और वंदा जैसी कई महिलाएं हैं जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं, लेकिन उन्हें उनके काम का उचित पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है।

महिलाओं की सरकार से मांग है कि हमें न्याय दिलाया जाए और मनरेगा के बराबर मजदूरी दिलाई जाए। साथ ही, वन विभाग के अधिकारियों की जांच की जाए और उन पर कार्रवाई की जाए जो हम महिलाओं का शोषण कर रहे हैं।

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