बक्सर का पंचकोसी मेला – आस्था, परंपरा और राम से जुड़ी अद्भुत परिक्रमा


भांवरकोल/गाजीपुर: प्रदेश की सीमा से ठीक सटे बक्सर में हर वर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) के कृष्ण पक्ष की पंचमी से पाँच दिनों तक लगने वाला पंचकोसी मेला देश भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। पाँच दिन की यह परिक्रमा बक्सर से सटे अहिरौली स्थित माता अहिल्या धाम से प्रारम्भ होती है और क्रमशः नदांव, भभुअर, बड़का नुआंव होते हुए पाँचवें दिन बक्सर के चरित्रवन में पूर्ण होती है।

इस विशेष मेले की खास बात यह है कि हर दिन श्रद्धालु अलग-अलग प्रकार के पकवान तैयार कर भगवान श्रीराम को समर्पित करते हैं। इसमें लिट्टी-चोखा का विशेष महत्व है। लोककथा के अनुसार त्रेतायुग में पंचकोसी परिक्रमा के दौरान भगवान श्रीराम का स्वागत इसी व्यंजन से हुआ था, तभी से यह परंपरा चलती आ रही है। पंचकोसी मेला भगवान राम के सिद्ध क्षेत्र आगमन से जुड़ा है। कहा जाता है कि विश्वामित्र मुनी के साथ यज्ञ सम्पन्न कराने सिद्धाश्रम आए राम ने राक्षसी ताड़का और मारीच-सुबाहू का वध कर यज्ञ की रक्षा की थी। इसके बाद उन्होंने पंच प्रमुख ऋषियों के आश्रमों का आशीर्वाद लिया वही पाँच स्थान आज पंचकोसी परिक्रमा के मुख्य पड़ाव हैं। हर दिन हजारों स्थानों पर एक साथ जलती अग्नि में व्यंजन बनते हैं और पाँचवें दिन चरित्रवन में इस अनोखे मेले का विधिवत समापन होता है।

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