चैत नवरात्र में आस्था व विश्वास का प्रतीक रेवतीपुर गांव के मध्य में स्थित व गाजीपुर से 20 किमी की दूरी पर व पडोसी राज्य बिहार से 30 किमी दूर स्थित मां भगवती देवी का मंदिर श्रद्धालुओं के सभी मुरादों को पूरा करने के कारण पूरे क्षेत्र के मन्दिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी उमडती है प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त मां के दरबार में हाजिरी लगाने गाँव जिले ही नहीं अपितु पडोसी राज्य बिहार से भी लोग अपनी मुरादे पूरी करने आते रहते है। यहां ब्याप्त किंवदंतियों के अनुसार लोगों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि मुस्लिम शासन काल में काम मिश्र व धाम मिश्र ने फत्तेहपुर सिकरी से 1707 ई.मे मां प्रतिमा स्थापित किए। ब्रिटिश हुकूमत में अकाल पड़ जाने के कारण लोगों को भूखे मरने की नौबत आ गयी थी परंतु इस दशा में भी तत्कालीन प्रशासन ने लोगों से लगान वसूलने का फरमान जारी कर दिया। इससे लोगों में हड़कंप मच गया था। तभी मां भगवती ने एक वृद्धा का रूप धारण करके पूरे क्षेत्र के गांवू का लगान अंग्रेजों के पास ले जाकर चुकाया और लोगों को इस मुसीबत से छुटकारा दिलाई। किदवंतियों के अनुसार बलिबंड खां पहलवान के उपर मां का आशीर्वाद था। वह मां के अनन्य भक्त थे। उन्होने स्वप्न में मां का दर्शन भी किया था। इस तरह यह धाम समरसता व भाईचारे का भी प्रतीक है। इलाके के लोगों का कहना है कि जब भी कोई बड़ी मुसीबत आती है मां साक्षात किसी न किसी रूप में उसका निवारण करती हैं।यह मंदिर पंचतलीय होने के साथ ही अपने आप में एक वास्तविक बास्तु कला का अद्भुत नमूना है। प्रत्येक तल में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों की नक्काशी कला देखते ही बनती है। इन मूर्तियों से अद्भूत नक्काशी कला के बारे में पता चलता है। मां की मूर्ति के पास लगे खंभो को लोगो ने उस समय यातायात सुविधाओं के अभाव के कारण अपने कंधो पर लाकर मंदिर में स्थापित किया था। नवरात्र के इन पावन दिनों में मंदिर की आकर्षक सजावट की गई। इससे मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इससे मंदिर परिसर में रौनक की छटां बराबर बिखेरती रहती है।मन्दिर का कपाट सुबह मां के श्रृंगार के बाद मंगला आरती होने व भोग लगने के साथ ही दर्शनार्थियों के लिए खुलता है। वहीं शाम को भी कपाट बन्द होने से पहले भव्य श्रृंगार किया जाता है । आरती होने के उपरान्त मन्दिर का कपाट रात्रि को बन्द कर दिया जाता है। यहाँ बारहों महीने हमेशा मुण्डन, हवन पूजन आदि का कार्य अनवरत चलता रहता है। आज दिन गाजे बाजे के साथ लोग मनौती पूर्ण होने तथा अगर किसी क्षेत्र में उपलब्धि दर्ज करते है तो पहले माँ भगवती जी का दर्शन पूजन के उपरान्त ही अपने घरो को जाते है। इलाके लोगों को आज भी आस्था एवं विश्वास है कि जो कोई सच्चे मन से मनौती करता है तो मां भगवती उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है।
शंकरवार गोत्र की कुलदेवी हैं मां भगवती,सच्चे मन से मनौती करने वाले की मां अवश्य मनोकामना पूर्ण
