राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति, 16 साल की उम्र से ही संघ के स्वयंसेवक हो गए थे राधाकृष्णन


एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। 67 वर्षीय राधाकृष्णन को उम्मीद से कहीं ज्यादा 452 वोट मिले। बता दें कि जीत के लिए मात्र 377 वोटों की जरूरत थी पर राधाकृष्णन ने रिकॉर्ड तोड़ वोट हासिल की। नतीजों से साफ स्पष्ट है कि विपक्ष एकजुट नहीं है भाजपा नेताओं का तथाकथित दावा है कि 15 विपक्षी सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।वोटिंग के बाद विपक्ष ने अपने सभी 315 सांसद एकजुट होने का दावा किया था लेकिन नतीजों में ऐसा नहीं दिखा।राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी बताया कि 13 सांसदों ने मतदान नहीं किया। इनमें बीजद के 7, बीआरएस के 4, शिअद का एक और एक निर्दलीय सांसद हैं। देर रात प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने राधाकृष्णन से मुलाकात कर शुभकामनाएं दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा राधाकृष्णन जी का जीवन समाज सेवा, गरीबों व वंचितों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है। मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति साबित होंगे।

उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन का जीवन परिचय- 1957 की 20 अक्टूबर को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे चंद्रपुर पोसामी राधाकृष्णन 16 की उम्रमें आरएसएस से जुड़े। राधाकृष्णन का  राजनीतिक उदय 90 के दशक में हुआ। 1996 में तमिलनाडु
भाजपा के सचिव बने और 2003 से 2006 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे।  राधाकृष्णन ने 93 दिन की यात्रा निकाली जिसमें आतंकवाद पर सख्ती, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे उठाए। राधा कृष्णन अटल बिहारी वाजपेयी दौर में दो बार कोयंबटूर से सांसद रहे। भाजपा और संघ के साथ गहन निष्ठा और सरल छवि के कारण उन्हें लगातार बड़े संवैधानिक दायित्व मिले। राधाकृष्णन झारखंड, तेलंगाना,पुडुचेरी और महाराष्ट्र में राज्यपाल रहे। वे दक्षिण से आने वाले पहले पिछड़े उपराष्ट्रपति हैं। इसके
जरिये भाजपा ने विपक्ष के जाति आधारित विमर्श को भी चुनौती दी है।

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