योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति और अपराधियों के सफाए का दम भरने वाली गाजीपुर पुलिस के इकबाल पर एक इनामी बदमाश ने सवालिया निशान लगा दिए हैं। मुख्तार अंसारी गैंग (IS-191) का सक्रिय सदस्य और हिस्ट्रीशीटर उमेश राय उर्फ गोरा राय पिछले 4 महीनों से पुलिस की गिरफ्त से दूर है हैरत की बात यह है कि पुलिस जिस अपराधी को महीनों से ढूंढने का दावा कर रही थी, उसका साथी पुलिस के ‘सुरक्षा चक्र’ को भेदकर कोर्ट में सरेंडर करने में सफल हो गया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्य आरोपी गोरा राय भी पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर कर देगा?
अगस्त की वारदात, दिसंबर तक खाली हाथ
मामला करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र का है इसी साल अगस्त में लठ्ठूडीह चट्टी पर गोरा राय ने अपने साथियों के साथ मिलकर मृत्युंजय राय से 5 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी और जान से मारने की धमकी दी थी। इस दुस्साहस के बाद पुलिस जागी और गोरा राय व उसके साथी प्रताप नारायण मिश्र पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया। लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी ‘सरगना’ पुलिस की पकड़ से बाहर है।
दबिश देती रह गई पुलिस, साथी कोर्ट पहुँच गया
गाजीपुर पुलिस की कार्यशैली और खुफिया तंत्र पर सबसे करारा तमाचा तब पड़ा, जब पिछले महीने गोरा राय का दाहिना हाथ माने जाने वाला प्रताप नारायण मिश्र पुलिस को चकमा देकर गाजीपुर कोर्ट में हाजिर हो गया।
एसओजी और स्थानीय पुलिस की टीमें ख़ाक छानती रहीं और 25 हजारी इनामी अपराधी कोर्ट पहुंच गया। सूत्रों के मुताबिक, गोरा राय लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है। कभी उसकी लोकेशन बिहार में मिलती है तो कभी पूर्वांचल के अन्य जिलों में, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह रफूचक्कर हो जाता है। 5 साल की सजा काटने के बाद जमानत पर छूटे अपराधी का खुलेआम घूमना और पुलिस का उसे न पकड़ पाना, व्यापारियों में दहशत का कारण बना हुआ है।
♦ गाजीपुर के व्यापारी और आम जनता दहशत में है कि कहीं गोरा राय किसी बड़ी वारदात को अंजाम न दे दे। अब देखना यह होगा कि गाजीपुर पुलिस अपनी साख बचाते हुए गोरा राय को गिरफ्तार करती है, या फिर वह भी कानून की आंखों में धूल झोंककर कोर्ट की शरण में जाने में कामयाब हो जाता है।
