वीरागंना लक्ष्मी बाई: एक प्रेरणास्रोत


संवाददाता – त्रिलोकी नाथ राय


 

गाजीपुर: महारानी रानी लक्ष्मी बाई की जयन्ती पर राष्ट्र सेविका समिति के तत्वाधान में रानी लक्ष्मी बाई इण्टर कालेज फुल्लनपुर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह नगर कार्यवाहिका प्रियंका ने महारानी लक्ष्मी बाई के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर मार्लापण किया।

मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में बताया कि महारानी लक्ष्मी बाई महिलाओ के लिए प्रेरणास्रोत रही हैं। सन् 1857 की क्रान्ति में उन्होंने अंग्रेजो के साथ जो आजादी को लेकर संघर्ष किया, वो आज पूरे दुनिया के लिए एक मिशाल बन गया है। महारानी लक्ष्मी बाई बचपन से ही बहुत कुशाग्र बृद्धि व युद्धकौशल की महारत हासिल कर लिया था।

उन्होंने बताया कि महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 में वाराणसी में हुआ था और काशी से मराठवाड़ा तक का सफर तय करते हुए उनका विवाह मराठा गंगाधर राव से 1942 में हुआ था। उनके पति गंगाधर राव की मृत्यु 1853 में हो गयी, जिसके बाद उन्होंने पूरे झांसी का राज संभाला और अंग्रेजो के खिलाफ क्रान्ति छेड़ दी।

महारानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजो के खिलाफ कई युद्ध लड़े और अपने रणकौशल व तलवार कला मे निपूण होने के चलते अंग्रेज उनके सामने टीक न सके। उन्होंने अंग्रेजो को मुंहतोड़ जबाब देते हुए विजय श्री हासिल की।

18 जून 1858 को फूलबाग ग्वालियर के मैदान मे अंग्रेजो व रानी लक्ष्मी बाई के बीच घोर युद्ध चला और 29 वर्ष के उम्र में वीरगति को प्राप्त हुई। जो मराठा मे वीरागंना लक्ष्मीबाई के नाम से विख्यात हुई।

इस अवसर पर विद्यालय के छात्राओ ने रानी लक्ष्मी बाई की विभिन्न झांकियां निकाली और उनके प्रेरक प्रसंग सुनाया। कार्यक्रम में सैकड़ो छात्राए व शिक्षिकाएं उपस्थित रही।

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