रसीद माँगी तो ‘लाइन में लगो’! महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब पर मरीजों को परेशान करने का आरोप


गाज़ीपुर। महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय गाज़ीपुर, एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गया है। कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में ब्लड टेस्ट और अन्य जाँचों के लिए शुल्क जमा करने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें भुगतान की रसीद नहीं दी जा रही है। इतना ही नहीं, जब कोई मरीज रसीद की मांग करता है, तो उसे दोबारा लंबी लाइन में जाकर खड़ा होने को कह दिया जाता है, जिससे मरीजों को मानसिक और शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।


क्या है पूरा मामला? अस्पताल सूत्रों और पीड़ित मरीजों के बयानों के अनुसार, ओपीडी और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को जब ब्लड जाँच के लिए शुल्क जमा करने को कहा जाता है, तो काउंटर पर तैनात कर्मचारी पैसे तो ले लेते हैं, लेकिन नियमानुसार दी जाने वाली कंप्यूटरीकृत रसीद देने से बचते हैं।एक पीड़ित तीमारदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मैंने अपने मरीज़ के ब्लड टेस्ट के लिए 130 रुपए जमा किए थे, लेकिन कोई रसीद नहीं दी गई। जब मैंने रसीद माँगी तो काउंटर से सीधे कहा गया कि ‘जाओ और दोबारा लाइन में लगकर ले लो।’ दबाव बनाने के पश्चात कर्मचारी द्वारा रसीद दिया गया। जानकारों का मानना है कि रसीद न देने की यह प्रथा अस्पताल के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि एकत्र किए गए शुल्क को आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा है। बिना रसीद के, यह साबित करना असंभव है कि मरीज ने कितना और किस जाँच के लिए भुगतान किया है। नियमों के अनुसार, सरकारी या स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों में भी प्रत्येक भुगतान के बदले में रसीद देना अनिवार्य है। यह मरीज का कानूनी अधिकार है और यह सुनिश्चित करता है कि पैसा सरकारी खजाने में जा रहा है। रसीद न देना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और सरकारी वित्तीय नियमों का सीधा उल्लंघन है।

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