गाज़ीपुर। भांवरकोल थाना क्षेत्र के मुड़ेरा बुजुर्ग गांव में चार महीने पहले हुए दशकों के सबसे बड़े अपराध के बाद, पुलिस की निष्क्रियता को स्थानीय लोग अब एक सकारात्मक विकास के रूप में देखने लगे हैं।
पीड़ित जगदीश राय के बेटे भरत राय ने पहले जहाँ एक महीने में खुलासे की उम्मीद की थी, वहीं अब व्यंग्य कसते हुए कहा कि “हमें लगा था कि पुलिस मेहनत करेगी, पर अब पता चला कि असली काम तो धीमा चलना ही है! हमारी 10 लाख रुपये की नकदी और आभूषण बेशक गए, पर हमें अब चोरी के खतरे का डर नहीं है। एक बार सब लुट जाए, तो डर कैसा? यह तो संपत्ति-मुक्त जीवन की ओर एक कदम है।
टिकापुर के श्रीकिशुन यादव, जिनकी जीवन भर की लगभग 15 लाख रुपये की जमा पूंजी गई, अब जीवन के नए दर्शन पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम गरीब लोग थे। चोर हमारी जमा पूंजी नहीं, बल्कि हमारी चिंताएं चुरा कर ले गए! अब हमें यह उम्मीद ही नहीं है कि पुलिस कुछ करेगी, और यह उम्मीद का खत्म हो जाना ही सबसे बड़ी शांति है। भांवरकोल पुलिस ने चार महीने तक चुप्पी साधकर हमें सिखा दिया कि भगवान पर भरोसा रखना कितना ज़रूरी है।
ग्रामीणों ने इस बात पर गहरी प्रसन्नता व्यक्त की है कि चार महीने बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उनका मानना है कि लगातार कोई नतीजा न आने से चोरों को यह सकारात्मक संदेश मिल रहा है कि “आपका काम इतना साफ़-सुथरा था कि पुलिस भी उसका कोई तोड़ नहीं ढूँढ पाई!” इस अनसुलझे मामले ने क्षेत्र कानून-व्यवस्था के प्रति एक अनूठी उदासीनता पैदा कर दी है, जहाँ अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराज़गी नहीं, बल्कि एक शानदार चुप्पी और मज़ेदार निराशा फैली हुई है।
ग्रामीणों ने कहा हम तो बस ‘ईश्वरीय चमत्कार’ की उम्मीद कर सकते हैं, क्योंकि पुलिस के प्रयासों पर से तो अब हमारा भरोसा उठ चुका है।
