भांवरकोल। शनिवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी का पावन पर्व पूरे क्षेत्र में आस्था और उल्लास के साथ मनाया गया। देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर घर-घर में उत्सव जैसा माहौल रहा। कहीं भक्तजन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना में लीन दिखे, तो कहीं तुलसी विवाह की तैयारी में व्यस्त रहीं महिलाएँ। कई श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर एकादशी का व्रत रखकर प्रभु श्रीहरि की आराधना की।
सुबह तड़के श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए घाटों की ओर निकल पड़े। पवित्र स्नान के बाद महिलाओं ने घरों की सफाई कर आंगन में सुंदर रंगोली बनाई। शाम होते ही गन्ने से सजे मंडपों में तुलसी विवाह और भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से संपन्न की गई। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीहरि की मूर्ति स्थापित कर धूप-दीप प्रज्वलित किए तथा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ‘उठो देव, जागो देव’ के जयघोष से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
गन्ने और नए गुड़ का नेवेदन करते हुए श्रद्धालुओं ने मंडप की परिक्रमा कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर कई घरों में दीप सजाए गए और पूजा उपरांत प्रसाद वितरण किया गया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इसी के साथ चातुर्मास का समापन होता है और विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से शुभ कार्यों के लिए नए मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं।
