विगत तीन दशकों से शेरपुर झेल रहा है कटान और बाढ़ का दंश
मुहम्मदाबाद। स्थानीय तहसील अंतर्गत बाढ़ प्रभावित गाँवों की हालत बहुत चिंता जनक हो गई है।गंगा जी इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। हजारों बीघा परवल, नेनुआ, मिर्च इत्यादि फसलों की खेती पिछले बाढ़ में पहले ही तबाह हो चुकी है। गंगा का पानी अभी फिर से बढ़ने की तरफ अग्रसर है। आज खतरे के निशान को गंगा पार कर चुकी हैं।
डेरा पर रहने वाले किसानों में भय और चिंता का माहौल है।
खासकर शेरपुर न्याय पंचायत क्षेत्र में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने और जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से प्रतिदिन खेती योग्य भूमि का पुनः कटान होने के अंदेशा से किसान भयभीत हैं।
ज्ञातव्य हो कि
विगत तीन दशकों से शेरपुर कटान का दंश झेल रहा है।
ठोकर भी सरकार द्वारा निर्माणाधीन है, किन्तु वह भी नाकाफ़ी है।
शेरपुर के मुबारकपुर मौजे में पिछली बार कटान जहाँ ठोकर की सीमा ख़त्म हुई है वहीं से शुरु हुई थी। हर साल कटान का दंश शेरपुर वासी झेलते रहते हैं।
अगर पानी का स्तर और बढ़ा तो शेरपुर न्याय पंचायत के किसानों की हालत फिर से बाढ़ की वजह से चिंताजनक हो सकती है।
पिछली बाढ़ बीतने के बाद किसानों ने टमाटर, मिर्च इत्यादि की लाखों रुपये की नर्सरी लगाई थी, अब बाढ़ फिर आने की संभावना से किसानों के कलेजे मे दर्द का उठना लाजमी है।
स्थानीय किसान कमलेश राय, मलखान राय, अखिलानंद राय, आशुतोष राय , मनीष राय, बाला जी राय, रमेश यादव, दिनेश ठाकुर और प्रधान चौधरी इत्यादि ने बताया कि बाढ़ से करोडों रुपए की मिर्च और टमाटर की नर्सरी का नुकसान हुआ पिछली बार ही हुआ है। यह नुकसान किसानों की आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, अब न जाने क्या होगा? इस बार फिर से गंगा जी की रफ़्तार ऐसे ही जारी रही तो किसानों की कमर टूट जाएगी।