Edtior: Dharmendra Bhardwaj
मथुरा | बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण में मंदिर फंड से 500 करोड़ रुपये खर्च करने के फैसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मुद्दे को संवेदनशील बताते हुए राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट को आपसी वार्ता से समाधान निकालने की सलाह दी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
“भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे, कृपया इस मामले में भी वार्ता से हल निकालें।”
— जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची
कोर्ट के अहम निर्देश:
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सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई के अपने पुराने आदेश (जिसमें सरकार को मंदिर फंड इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी) को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा।
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हाईकोर्ट के पूर्व जज और रिटायर्ड जिला जजों की अंतरिम समिति गठित करने का सुझाव, जो मंदिर का संचालन देखेगी।
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समिति फंड का सीमित उपयोग कर सकेगी, जब तक अध्यादेश पर कोई अंतिम निर्णय नहीं आता।
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कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच हाईकोर्ट को करनी चाहिए थी।
मंदिर प्रशासन का विरोध:
मंदिर ट्रस्ट ने सरकार के अध्यादेश का विरोध किया है, जिसमें कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर फंड से खर्च का प्रस्ताव है। ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर के मामलों में निर्णय का अधिकार सिर्फ उनके पास होना चाहिए।
क्या है अगला कदम?
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट सरकार के अध्यादेश को चुनौती दे सकता है।
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सरकारी पक्ष के वकील केएम नटराज ने कोर्ट से मंगलवार तक का समय मांगा है।
निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पैसों से कॉरिडोर निर्माण पर गंभीर सवाल उठाते हुए फंड के सीमित उपयोग की अनुमति दी है, और सरकार व ट्रस्ट को मध्यस्थता से समाधान निकालने को कहा है। अंतिम फैसला आने तक मंदिर संचालन अंतरिम समिति के हाथों में रहेगा।
