मऊ नगरपालिका बनी भ्रष्टाचार का अड्डा चेयरमैन पर लग रहा आरोप


  • मऊ नगरपालिका बनी भ्रष्टाचार का अड्डा चेयरमैन पर लग रहा आरोप

मऊ-‌ जहां एक ओर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करती है वहीं दूसरी ओर इसके इतर भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। मामला मऊ जनपद के नगरपालिका परिषद का जहां इन दिनों भ्रष्टाचार को लेकर सभासद आंदोलन कर रहे हैं,यह मामला तब शुरू हुआ जब विगत दिनों बोर्ड की बैठक में नगर चेयरमैन अरशद जमाल के सामने ही बहुमत की संख्या में सभासद विरोध शुरू कर दिए और अरशद जमाल मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे, अचानक हुए विरोध से चेयरमैन मीटिंग छोड़कर भाग खड़े हुए और मीटिंग की अगली तारीख 19 जुलाई रखी गई।           

   आखिर क्यों हो रहा है विरोध 

सभासदों का कहना है कि चेयरमैन अपनी मर्जी से टेंडर निकलवाते हैं,जहां जरूरत है वहां काम न कराकर जहां लंबा कमीशन और बचत हो वहां का टेंडर निकालते हैं। सभासदों द्वारा दिए गए काम के प्रस्ताव को नहीं करवाते।साथ ही इंटरलाकिंग में लगने वाले ईंट की कंपनी परोक्ष रूप से चेयरमैन की है। मोटी बचत का काम जैसे सप्लाई का काम चेयरमैन खुद अपने करते हैं बस नाम किसी दूसरे का है। यहां तक कि निर्माण कार्य में लगने वाला शिलापट्ट जो सड़क के किनारे गरीब तबका बनाता चला आ रहा है जिनका पैतृक ब्यवसाय यह है, इसको भी बंद कराकर अपने रिश्तेदार की कंपनी लगवाकर ठेकेदारों को वहां से शिलापट्ट लिखवाने पर मजबूर किया जाता है।साथ ही ठेकेदारों से खुलेआम मोटा कमीशन लिया जाता है।

चेयरमैन अरशद जमाल का बयान

इस संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल का कहना है कि सारी टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन और निष्पक्ष होती है इसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है। जबकि जैसे ही मीटिंग के दौरान अध्यक्ष अरशद जमाल पर सभासदों ने आरोप लगाया तुरंत इसका काट करते हुए चेयरमैन अरशद जमाल ने मुख्तार अंसारी के जमाने से उनके करीबी रहे सभासद सलाम शामियाना को आगे करके उन्होंने इसकी काट में बयान जारी करवा दिया लेकिन उम्र के तकाजे से बोलते हुए अरशद जमाल के पक्षकार सलाम शामियाना ने न सिर्फ जनपद के आला अधिकारियों को भी कमीशन लेने का आरोप लगाया बल्कि अध्यक्ष अरशद जमाल पर भी मोटा कमीशन लेने का खुलासा कर डाला। बाद में चेयरमैन अरशद जमाल को ऐसा लगा की दाव उल्टा पड़ रहा है तो तुरंत दूसरे ही दिन उन्होंने सभासद सलाम शामियाना का बयान बदलावा दिया और अधिकारियों एवं मंत्री एके शर्मा की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगे ।

इस मामले में क्या हो सकता है?
चुंकि चेयरमैन अरशद जमाल राजनीति के पैंतरेबाज खिलाड़ी हैं इसलिए वह लगातार सभासदों से संपर्क बनाकर मामले को शांत करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। परंतु सभासद भी अड़े हुए हैं। जानकार बता रहे हैं कि यदि मामला नहीं सुलझा और निष्पक्ष जांच हुई तो सभासदों के बहुमत को देखते हुए नगरपालिका में प्रशासक नियुक्त हो सकता है और चेयरमैन के सारे पावर सीज हो सकते हैं। हांलांकि इससे बचने के लिए चेयरमैन अरशद न सिर्फ अपने चहेते मीडिया को मैनेज करके रोज नए-नए तारीफों के बयान जारी करवा रहे हैं बल्कि खुद भी पत्रकार बनकर अपनी सोशल साइट से मामले को कंट्रोल करने के लच्छेदार बयान जारी कर अपनी सफाई पेश कर रहे हैं।

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