अरे ये क्या! किसके दबाव में आकर क्षेत्राधिकारी पीडीडीयू ने नहीं दर्ज किया पीड़ित का लिखित बयान


       क्षेत्राधिकारी के सरकारी ईमेल पर प्रेषित             सूचना शिकायत से संबंधित बयान

चंदौली: रसूखदार व्यक्ति के दबाव में आकर आवेदक का लिखित बयान आख्या में न दर्ज करने का मामला संज्ञान में आया है। आवेदक के पुत्र का कहना है कि मेरे द्वारा स्वयं आवेदक का लिखित बयान श्रीमान क्षेत्राधिकारी महोदय को सरकारी ईमेल आईडी और सरकारी सीयूजी नंबर के व्हाट्सएप पर पर प्रेषित करके उन्हें अवगत कराया गया था, किंतु क्षेत्राधिकारी महोदय द्वारा रसूखदार के दबाव में आकर लिखित बयान को दर्ज नहीं किया गया तथा शिकायत के क्रम में भूमि पैमाइश का दस्तावेज भी प्रस्तुत किया किंतु धारा 24 के पैमाईश को भी साक्ष्य का आधार नहीं माना गया।

क्षेत्राधिकारी के सीयूजी नंबर के व्हाट्सएप पर भेजा गया बयान 

पीडीडीयू क्षेत्राधिकारी कृष्णमुरारी शर्मा द्वारा क्या आख्या प्रेषित की गई?

आख्या के अनुसार क्षेत्राधिकारी द्वारा यह आख्या प्रेषित की गई है कि वर्ष 2006 में वह भूमि दाता तिवारी की थी तथा 2006 में ही उस भूमि की मिट्टी निकाली गई थी। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि चकबंदी 2013 में हुई है और चकबंदी की धारा 4 के अनुसार पूरी भूमि को समतल करके ही भूमि का आवंटन किया जाता है।

इस प्रकार से आईजीआरएस का निस्तारण करना क्षेत्राधिकारी कृष्ण मुरारी शर्मा को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है कि क्या सच में क्षेत्राधिकारी महोदय किसी दबाव में कार्य कर रहे हैं?

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