अरे यह क्या! आखिर किसके दबाव में आकर मानकविहीन विद्यालय पर करवाई नहीं कर पा रहे जिला के बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत कुमार राव?


गाजीपुर: बीते दिनों आर०टी०आई० एक्टिविस्ट व पत्रकार सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा गाजीपुर स्थित एक विद्यालय जय मां अन्नपूर्णा प्राथमिक विद्यालय अगस्ता सलामतपुर गाज़ीपुर के संबंध में जन सूचना अधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग से सूचना मांगी थी जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी सदर द्वारा यह सूचना प्रेषित की गई थी कि विद्यालय 10 बिस्वे में बना हुआ है तथा विद्यालय में 1000 वर्ग मीटर की क्रीड़ा भूमि है जब पत्रकार को शंका हुआ की आलोक कुमार द्वारा पूर्ण रूप से प्रबंधक की सहायता की जा रही है तो तत्काल ही एक्टिविस्ट द्वारा राजस्व विभाग से जांच कराना शुरू करा दिया गया।  राजस्व विभाग के जांच के अनुसार बहुत बड़ा खुलासा हुआ जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि जिस भूमि पर विद्यालय का संचालन हो रहा है वह भूमि विद्यालय के नाम से लगभग 824 वर्ग फीट ही दर्ज है। मामले को बढ़ता हुआ देख समस्त शिक्षा अधिकारियों द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की गई।

किस प्रकार से किया जा रहा मामले का फर्जी निस्तारण

कभी खंड शिक्षा अधिकारी सदर द्वारा यह आख्या प्रेषित की जाती है कि विद्यालय में क्रीड़ा भूमि है तो कभी दो सदस्यीय टीम द्वारा आनन फानन में अंग्रेजी माध्यम की विद्यालय का शासनादेश लगाकर यह आख्या प्रेषित कर दी जाती है की क्रीड़ा भूमि ना होने की स्थिति में किसी भी विद्यालय को मान्यता से वंचित नहीं किया जा सकता एवं दो सदस्य टीम द्वारा क्रीडा भूमि विद्यालय के पीछे दिखा दी जाती है।

प्रश्न – जब खंड शिक्षा अधिकारी सदर द्वारा जांच में यह रिपोर्ट प्रेषित किया गया की क्रीड़ा भूमि विद्यालय के अंदर है तो दो सदस्य टीम द्वारा यह रिपोर्ट क्यों प्रेषित किया गया की क्रीड़ा भूमि 2720 वर्ग फीट भूमि विद्यालय के पीछे है?

पुनः एक्टिविस्ट द्वारा राजस्व विभाग से जब सूचना ली गई तो राजस्व विभाग ने स्पष्ट रूप से यह कह दिया कि विद्यालय के पीछे कोई क्रीडा भूमि नहीं है।

प्रश्न यह खड़ा हो रहा है कि आखिर तीन-तीन शिक्षा अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी पर किसका दबाव है जो उनके द्वारा बताया नहीं जा रहा है।

शिकायतकर्ता का कहना है की बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा स्वयं मुझे स्पष्ट रूप में यह कहा गया कि मेरे ऊपर बहुत ज्यादा दबाव है एवं जब आपने पहली बार शिकायत की थी तब से ही मेरे पास कई लोगों का फोन आ चुका है । शिकायतकर्ता द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी पर यह भी आरोप लगाया गया है कि समस्त दस्तावेज राजस्व विभाग के द्वारा प्रेषित है किंतु कार्यवाही नहीं की जा रही है। जहां एक तरफ पूरे प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के मर्जर का कार्य चल रहा है वही फर्जी दस्तावेजों पर शिक्षा अधिकारियों द्वारा स्थाई मान्यता देना शिक्षा अधिकारियों के कार्यशैली पर बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा कर रहा है।

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